लिमेटिड ओवर को DLS यानी डकवर्थ-लुईस-स्टर्न नियम देने वाली टीम के सदस्य टोनी लुईस का बुधवार को 78 साल की उम्र में निधन हो गया है। इस टीम ने 1997 में मौसम के कारण प्रभावित हुए मैच के लिए DLS मैथड को आईसीसी के सामने पेश किया और 1999 में इंग्लैंड में खेले गए वर्ल्ड कप से इसे अपनाया गया। सबसे पहले इस मैथड का इस्तेमाल 1996-97 में जिम्बाब्वे और इंग्लैंड के बीच खेले गए दूसरे एकदिवसीय मैच के दौरान हुआ था।
इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने बुधवार को बयान जारी कर कहा, 'ECB को टोनई लुईस MBE की मौत के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ है। वह 78 साल के थे। टोनी ने अपने साथी गणितज्ञ फ्रैंक डकवर्थ के साथ मिलकर 1997 में डकवर्थ-लुईस का नियम दिया था जिसे आईसीसी ने 1999 में अपनाया था।'
स्टीवन स्टर्न, क्वींसलैंड के गणितज्ञ, ने आधुनिक दिन स्कोरिंग दरों को ध्यान में रखते हुए नियम में समायोजन किया और 2015 विश्व कप में डकवर्थ-लुईस-स्टर्न पद्धति को नियुक्त किया गया।
ईसीबी ने कहा, '2014 में इसका नाम बदलने के बाद भी गणित का यह फॉर्म्युला दुनियाभर में वर्षा आधारित मैचों में इस्तेमाल होता रहा है। दोनों, टोनी और फ्रैंक के योगदान के लिए क्रिकेट उनका ऋणी रहेगा। हम टोनी के परिवार के प्रति शोक व्यक्त करते हैं।'
इस नियम के लागू होने से पहले बारिश से प्रभावित मैचों में जो टीम ज्यादा औसत से रन बनाती थी उसे विजेता घोषित कर दिया जाता था। उस समय विकेट गिरने की बात पर ध्यान नहीं दिया जाता था।
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