
कल भारत के 1983 वर्ल्ड कप जीत की 37वीं वर्षगांठ थी। इस खास मौके पर टीम इंडिया के खिलाड़ियों का बधाई का तांता लगा हुआ था। इसी बीच जब भारतीय पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी युवराज सिंह ने जीत की बधाई दी तो टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री ने अपना पुराना बदला चुकता किया।
1983 वर्ल्ड कप टीम को बधाई देते हुए युवराज सिंह ने लिखा "राष्ट्रीय गौरव का क्षण। हमारे सीनियर्स ने इस दिन 1983 विश्व कप जीता था। 1983 की टीम के प्रत्येक सदस्य को बधाई। आपने 2011 में इसे दोहराने के लिए बैंचमार्क सेट किया था। भारत को सभी खेलों में विश्व चैंपियन बनने की उम्मीद है।"
युवराज के इस ट्वीट पर शास्त्री ने लिखा "धन्यवाद जूनियर। आप मुझे और कपिल देव को टैग कर सकते थे।"
युवराज ने तुरंत इसका जवाब देते हुए कहा 'सीनियर। आप मैदान के बाहर भी और मैदान के अंदर भी महान हो। कपिल पाजी पूरी तरह से अलग लीग थे।'
Hahahahaha senior ! Your a legend on and off the field 🤪👍👊🏽 Kapil Paaji was a different league altogether
— Yuvraj Singh (@YUVSTRONG12) June 25, 2020
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बता दें, शास्त्री ने कपिल देव और खुद को इस ट्वीट में टैग करने को इस वजह से कहा था क्योंकि जब हाल ही में टीम इंडिया की 2011 वर्ल्ड कप की विजयी वर्षगांठ पर शास्त्री ने बधाई दी थी तो युवराज ने माही और अपने आप को टैग करने को कहा था।
शास्त्री ने वर्ल्ड कप 2011 की जीत पर बधाई देते हुए लिखा था, 'बहुत बधाई, कुछ ऐसा है जिसे आप जिंदगी भर संजोएंगे। ऐसे ही जैसे हम 1983 के ग्रुप वाले करते हैं।'
शास्त्री ने अपने इस ट्वीट में सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली को ही टैग किया था। इसके बाद युवराज ने कहा था 'थैंक्स सीनियर...आप मुझे और धोनी को भी टैग कर सकते थे क्योंकि हम भी उस टीम का हिस्सा थे।'
Thanks senior ! U can tag me and mahi also we were also part of it 😂
— Yuvraj Singh (@YUVSTRONG12) April 2, 2020
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1983 वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीकांत के 38 रन के दम पर विंडीज की धाकड़ टीम के सामने 184 रन का लक्ष्य रखा था। हर किसी को लग रहा ता कि विंडीज की टीम इस लक्ष्य को बड़ी ही आसानी से हासिल कर वर्ल्ड कप जीतने की हैट्रिक लगा देगी, लेकिन वो कहते हैं ना क्रिकेट अनिश्चिताओं का खेल है, यहां कभी भी कुछ भी हो सकता है।
ऐसा ही कुछ उसी मैच में हुआ था। विवि रिचर्ड्स जैसे धाकड़ बल्लेबाजों से भरी विंडीज की टीम उस दिन मात्र 140 रन पर ही ढेर हो गई थी। इस मैच में मदन लाल और मोहिंदर अमरनाथ ने सबसे अधिक तीन-तीन विकेट लिए वहीं संधू के खाते में दो और कपिल देव और रोजर बिन्नी को एक-एक विकेट मिला। इस जीत ने भारत को विश्व क्रिकेट में एक अलग पहचान दिलाने में मदद करी।
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