अमेरिका के मिनियापोलिस में हाल ही में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद नस्लवाद और रंगभेद वैश्विक बहस का विषय का मुद्दा बन चुका है। इस मुद्दे पर कई क्रिकेटरों ने भी अपने साथ हुए भेदभाव के बारे में बताया है। इसी कड़ी में अब वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान डैरेन सैमी ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि वह आईपीएल में भी नस्वाल का शिकार हो चुके हैं और वह इससे गुस्सा है।
दरअसल, सैमी ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी शेयर की जिसमें उन्होंने लिखा है कि जब वह आईपीएल में सनराइजर्स हैदराबाद की टीम से खेला करते थे तो उन्हें और श्रीलंका के खिलाड़ी थिसारा परेरा को कालू कहकर पुकारा जाता था, उन्हें लगता था कि इसका मतलब ताकतवर घोड़ा होता है, लेकिन अब उन्हें इसका असली मतलब पता चल चुका है और वह यह जानकर काफी गुस्से में हैं। हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं किया है कि इस शब्द से उन्हें टीम के खिलाड़ी पुकारा करते थे या फिर फैन्स।
इससे पहले सैमी ने आईसीसी को क्रिकेट में नस्लवाद को लेकर आवाज उठाने की नसीहत देते हुए कहा था कि आप इसके खिलाफ आवाज उठाएं या फिर इसका हिस्सा बनने को तैयार हो जाएं। सैमी ने कहा था ‘‘ताजा वीडियो देखने के बाद इस समय अगर क्रिकेट जगत अश्वेतों पर हो रही नाइंसाफी के खिलाफ खड़ा नहीं होगा तो उसे भी इस समस्या का हिस्सा माना जायेगा।’’
उन्होंने सवाल दागा,‘‘आईसीसी और बाकी सभी बोर्ड को क्या दिखता नहीं है कि मेरे जैसे लोगों के साथ क्या होता है। मेरे जैसे लोगों के साथ हो रही सामाजिक नाइंसाफी क्या नजर नहीं आती।’’
उन्होंने कहा़,‘‘यह सिर्फ अमेरिका में नहीं है। यह रोज होता है। अब चुप रहने का समय नहीं है। मैं आपकी आवाज सुनना चाहता हूं।’’
सैमी ने कहा,‘‘लंबे समय से अश्वेत लोग सहन करते आये हैं। मैं सेंट लूसिया में हूं और मुझे जॉर्ज फ्लॉयड की मौत का दुख है। क्या आप भी बदलाव लाने के लिये अपना समर्थन देंगे। हैशटैग ब्लैक लाइव्स मैटर।’’
सैमी के इस बयान के बाद आईसीसी ने ने शुक्रवार को 2019 वर्ल्ड कप फाइनल के एक वीडियो के जरिए नस्लवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है।
आईसीसी ने शुक्रवार को इंग्लैंड में खेले गए 2019 विश्व कप फाइनल की जीत के अंतिम क्षणों की एक वीडियो क्लिप पोस्ट की जिसमें बारबाडोस में जन्में जोफ्रा आर्चर न्यूजीलैंड के खिलाफ रोमांचक सुपर ओवर में गेंदबाजी करते दिखाई दे रहे हैं। इस वीडियो के कैप्शन में आईसीसी ने लिखा, "विविधता के बिना क्रिकेट कुछ भी नहीं है। विविधता के बिना आपकी तस्वीर पूरी नहीं होती है।
Without diversity, cricket is nothing.
— ICC (@ICC) June 5, 2020
Without diversity, you don't get the full picture. pic.twitter.com/kHfELJIJbt
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