Reality Of Sports: 'मंकीगेट' के बाद वापस लौटना चाहती थी टीम इंडिया, लेकिन कप्तान कुंबले ने इस तरह खिलाड़ियों को रोका

Saturday, 1 August 2020

'मंकीगेट' के बाद वापस लौटना चाहती थी टीम इंडिया, लेकिन कप्तान कुंबले ने इस तरह खिलाड़ियों को रोका

Team India during Australia Tour 2008 Image Source : GETTY IMAGES

नई दिल्ली| भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले ने कहा विवादास्पद सिडनी टेस्ट के बाद 2007-08 के ऑस्ट्रेलिया दौरे से हटना एक ‘स्वीकार्य’ विकल्प हो सकता था, लेकिन उनकी टीम ने विपरित परिस्थितियों में बाकी बचे मैचों को जीतकर मिसाल कायम पेश करने की कोशिश की।

जनवरी 2008 में खेले गये सिडनी टेस्ट में विवादित ‘मंकीगेट’ प्रकरण हुआ था, जिसमें ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह को एंड्रयू साइमंड्स के साथ नस्लीय दुर्व्यवहार के आरोप में आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) द्वारा तीन मैचों का प्रतिबंध लगाया गया था। भारत ने इस फैसले के खिलाफ अपील की थी और दौरे से बाहर से हटने के बारे में भी चर्चा हुई थी। हरभजन को अंततः न्यूजीलैंड के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जॉन हैनसेन ने मैच फीस का 50 प्रतिशत का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया।

कुंबले ने भारतीय ऑफ स्पिनर आर अश्विन से उनके यू-ट्यूब चैनल ‘डीआरएस विद ऐश’ पर कहा, ‘‘ एक कप्तान के रूप में आप आमतौर पर मैदान पर निर्णय लेने के लिए तैयार रहते हैं। यहाँ मुझे कुछ ऐसी चीजों का सामना करना पड़ा, जो मैदान के बाहर की थी और खेल के हित में निर्णय लेना था।’’

देश के लिए 132 मैचों में सबसे ज्यादा 619 टेस्ट विकेट लेने वाले कुंबले ने कहा कि उन्हें लगा था कि आईसीसी ने हरभजन के खिलाफ ‘गलत’ फैसला लिया था। इस 49 साल के पूर्व कप्तान ने कहा, ‘‘ हमें साफ तौर पर टीम के रूप में एक साथ होना था। उस समय दौरे को बीच में छोड़कर टीम के वापस लौटने की बात हो रही थी। लेकिन ऐसा करने पर लोगों को लगता की भारतीय टीम ने कुछ गलत किया होगा इसलिए लौटकर वापस आ गयी।’’

इस दौरे में अंपायरिंग का स्तर भी खराब था। हाल ही में अंपायर स्टीव बकनर ने भी माना ने उनसे इस सीरीज में गलती हुई थी। भारत ने पहला टेस्ट 337 जबकि दूसरा टेस्ट 122 रन से गंवाने के बाद पर्थ में खेले गये तीसरे टेस्ट को 72 रन से जीता था। एडीलेड में खेला गया चौथा टेस्ट ड्रा रहा था।

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कुंबले ने कहा, ‘‘ कप्तान या टीम के तौर पर आप सीरीज जीतने जाते हैं। दुर्भाग्य से पहले दो टेस्ट के नतीजे हमारे पक्ष में नहीं रहे थे लेकिन बाकी दो मैचों को जीत कर हमारे पास सीरीज बराबर करने का मौका था।’’ कुंबले ने 14 टेस्ट में भारत का प्रतिनिधित्व किया जिसमें टीम को तीन मैचों में सफलता मिली जबकि छह में हार का सामना करना पड़ा और पांच मैंच ड्रा रहे। 



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