Sunday, 2 August 2020
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आखिर क्यों कोचिंग नहीं दे पाएंगे 60 साल से अधिक के अरूण लाल और वाटमोर, सामने आई वजह
नई दिल्ली| भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) की राज्य संघों को जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) 60 साल से अधिक के व्यक्तियों को ट्रेनिंग शिविर का हिस्सा बनने से रोकती है जिसका असर अरूण लाल और ऑस्ट्रेलियाई डेव वाटमोर पर पड़ सकता है जो क्रमश: बंगाल और बड़ौदा की टीमों के कोच हैं।
अप्रैल में 66 साल के वाटमोर को बड़ौदा का कोच नियुक्त किया गया था जबकि 65 साल के अरूण लाल के मार्गदर्शन में बंगाल ने मार्च में रणजी ट्रॉफी फाइनल में जगह बनाई थी। बीसीसीआई के 100 पन्ने से अधिक के एसओपी के एक दिशानिर्देश के अनुसार, ‘‘60 साल से अधिक की उम्र के सहयोगी स्टाफ, अंपायर, मैदानी स्टाफ और मधुमेह जैसी बीमारियों का उपचार करा रहे लोग, कमजोर इम्युनिटी वालों के लिए कोविड-19 को जोखिम अधिक माना जा रहा है।’’
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इसके अनुसार, ‘‘सरकार के उचित दिशानिर्देश जारी करने तक ऐसे व्यक्तियों को शिविर की गतिविधियों में हिस्सा लेने से रोका जाना चाहिए।’’ अरूण लाल और वाटमोर दोनों सत्र पूर्व ट्रेनिंग शिविर में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) के अध्यक्ष अविषेक डालमिया प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं थे लेकिन बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ‘‘यह एसओपी है। किसी भी टीम के लिए नियमों का उल्लंघन बेहद मुश्किल होगा। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अरूण लाख या वाटमोर जैसे कोच को बाहर रहना होगा। ’’
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बीसीसीआई ने जारी की एसओपी, राज्य संघ के खिलाड़ी दोबारा शुरू करेंगे ट्रेनिंग
नई दिल्ली| भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने राज्य संघों को जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में कहा है कि खिलाड़ियों को अपने संबंधित केंद्रों में ट्रेनिंग दोबारा शुरू करने से पहले सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करना होगा। एसओपी में शिविर में हिस्सा लेने से ऐसे लोगों को प्रतिबंधित किया गया है जिनकी उम्र 60 बरस से अधिक है या जिनका उपचार चल रहा है। बीसीसीआई के 100 पन्ने के एसओपी के तहत खिलाड़ियों को फॉर्म पर हस्ताक्षर करने होंगे कि वे कोविड-19 महामारी के बीच ट्रेनिंग दोबारा शुरू करने को लेकर जोखिम से वाकिफ हैं।
भारत का 2019-2020 घरेलू सत्र मार्च में खत्म हुआ लेकिन आम तौर पर अगस्त में शुरू होने वाला नया सत्र विलंब से शुरू होगा और स्वास्थ्य संकट के बीच मैचों की संख्या में कटौती लगभग तय है।
क्रिकेट दोबारा शुरू करने को लेकर बीसीसीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार, ‘‘खिलाड़ियों, स्टाफ और संबंधित हितधारकों का स्वास्थ्य और सुरक्षा पूरी तरह से संबंधित राज्य क्रिकेट संघों की जिम्मेदारी होगी।’’ सरकार द्वारा उचित दिशानिर्देश जारी किए जाने तक 60 बरस से अधिक उम्र के सहयोगी स्टाफ, अधिकारियों और मैदानी स्टाफ के अलावा उपचार की प्रक्रिया से गुजर रहे लोगों को ट्रेनिंग शिविर में मौजूद रहने से प्रतिबंधित किया गया है। स्टेडियम तक पहुंचने से लेकर वहां ट्रेनिंग के दौरान खिलाड़ियों को कड़े सुरक्षा नियमों का पालन करना होगा।
शिविर शुरू करने से पहले मेडिकल टीम आनलाइन सवालों के जरिए सभी खिलाड़ियों और स्टाफ का यात्रा और मेडिकल इतिहास (पिछले दो हफ्ते का) पता करेगी। अगर किसी खिलाड़ियों या स्टाफ में कोविड-19 जैसे लक्षण दिखते हैं तो उसे पीसीआर परीक्षण कराना होगा। एसओपी के अनुसार, ‘‘एक दिन के अंतर पर (पहले और तीसरे दिन) दो परीक्षण कराने होंगे। अगर दोनों परीक्षण के नतीजे नेगेटिव आते हैं तभी खिलाड़ी को शिविर में शामिल किया जाएगा। ’’
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खिलाड़ियों को स्टेडियम आने के दौरान एन95 मास्क (रेस्पिरेटर वाल्व के बिना) पहनना होगा और उन्हें सार्वजनिक स्थलों के अलावा ट्रेनिंग के दौरान चश्मा पहनने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। शिविर के आयोजन से पहले मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभी खिलाड़ियों और स्टाफ के लिए वेबिनार का आयोजन करेगा और शिविर के पहले दिन शैक्षिक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा।
खिलाड़ियों को स्टेडियम आने के दौरान अपने वाहन की व्यवस्था करने की सलाह दी गई है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के प्रतिबंध को देखते हुए खिलाड़ियों के गेंद पर लार लगाने पर प्रतिबंध होगा।
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कारगिल युद्ध में लड़ना चाहते थे शोएब अख्तर, जिसके लिए ठुकरा दी थी करोडो रुपए की ये डील
पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज व रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से मशहूर शोएब अख्तर ने एक बड़ा खुलासा किया है। उनका कहना है कि जिस समय भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध चल रहा था उस समय इंग्लैंड की काउंटी क्रिकेट टीम नॉटिंघमशायर ने उनके साथ 175,000-पाउंड ( लगभग 1 करोड़ 71 लाख ) की डील करनी चाही थी। मगर वो किसी भी तरह कारगिल युद्ध में भाग लेना चाहते थे जिसके चलते उन्होंने इस करार को ठुकरा दिया था।
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक कारगिल युद्ध मई से जुलाई के बीच साल 1999 में हुआ था। जिसमें दोनों देशों के कई सैनिक मारे गए थे। ऐसे में इस युद्ध के दो दशक बीत जाने के बाद अब शोएब अख्तर ने खुलासा किया है कि वो उस समय किसी तरह अपने देश की सेना के साथ लड़ना चाहते थे। जिसके लिए उन्होंने इस करार को नकार दिया था।
पाकिस्तान के टी.वी. चैनल ARY न्यूज़ पर शोएब ने कहा, "बहुत से कम लोगों को इस बारे में पता है कि मेरे पास उस समय करीब नॉटिंघमशायर के साथ 175,000-पाउंड की डील थी। इसके बाद साल 2002 में भी मेरे पास एक बड़ा करार था। मगर मैंने दोनों को नकार दिया जब कारगिल युद्ध हुआ।"
अख्तर ने आगे कहा, "मैं लाहौर की सीमा पर खड़ा था और एक जनरल ने मुझे पूछा यहाँ क्या कर रहे हो? मैंने कहा युद्ध शुरू होने वाला है और हम दोनों साथ में मरेंगे। मैंने इस तरह अपनी दोनों काउंटी डील को नकारा और देश हैरान था। मुझे उनकी बिल्कुल भी चिंता नहीं थी। मैंने कश्मीर में अपने दोस्त को फोन किया और कहा कि मैं लड़ने के लिए तैयार हूँ।"
अख्तर ने अंत में कहा, "जब विमान (भारत से) आए और हमारे कुछ पेड़ों को गिरा दिया, तो यह हमारे लिए बहुत बड़ी क्षति थी। उन्होंने 6-7 पेड़ गिराए और हम अब पेड़ों पर बहुत ध्यान दे रहे हैं। मुझे इस बात से बहुत दुख हुआ। उस दिन जब मैं उठा तो मुझे चक्कर आ रहा था और मेरी पत्नी ने मुझे शांत होने के लिए कहा। लेकिन अगले दिन जब तक मैंने खबर देखी, यह जारी है। मुझे पता है कि अगले दिन क्या हुआ, मैं रावलपिंडी से हूं और मुझे GHQ पता है।"
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बता दें कि पाकिस्तान क्रिकेट के लिए दशकों तक तेज गेंदबाजी रकने वाले शोएब अख्तर ने अपने क्रिकेट करियर में 400 से अधिक अंतराष्ट्रीय विकेट लिए हैं। इतना ही नहीं वो क्रिकेट इतिहास में सबसे तेज गति से गेंद फेकने वाले गेंदबाज भी रहे हैं।
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