Wednesday, 17 June 2020
West Indies' Kraigg Brathwaite Ready To Follow Desmond Haynes Manual
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Serena Williams Set For US Open As Officials Vow Safety, Star Power
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मैनचेस्टर सिटी ने आर्सेनल को 3-0 से हराकर लिवरपूल का इंतजार बढ़ाया

मैनचेस्टर। मैनचेस्टर सिटी ने इंग्लिश प्रीमियर लीग की 100 दिन के बाद वापसी पर खेले गये पहले मैच में दस खिलाड़ियों के साथ खेल रही आर्सनल की टीम को 3-0 से करारी शिकस्त दी। सिटी की इस जीत ने लिवरपूल का 30 साल में पहली बार इस प्रतिष्ठित फुटबाल प्रतियोगिता का खिताब जीतने का इंतजार बढ़ा दिया।
रहीम स्टर्लिंग ने जब पहले हाफ के इंजुरी टाइम में सिटी की तरफ से पहला गोल दागा तो उसका जश्न मनाने के लिये कुछ स्वास्थ्यकर्मियों के अलावा स्टेडियम में कोई अन्य व्यक्ति मौजूद नहीं था। कोरोना वायरस के कारण पिछले तीन महीने में केवल स्वास्थ्यकर्मियों के लिये ही तालियां बजी थी। आर्सनल को दूसरे हाफ के शुरू में ही झटका लगा जब डेविड लुईस को लाल कार्ड दिखाकर बाहर कर दिया गया।
सिटी को पेनल्टी मिली जिसे केविन डि ब्रूएन ने 51वें मिनट में इसे गोल में बदल दिया। फिल बोडेन ने दूसरे हाफ के इंजुरी टाइम में सिटी की तरफ से तीसरा गोल किया। दूसरे स्थान पर काबिज मैनचेस्टर सिटी के इस जीत से 29 मैचों में 60 अंक हो गये हैं। अगर उसकी टीम यह मैच हार जाती तो लिवरपूल रविवार को एवर्टन पर जीत के साथ खिताब भी अपने नाम कर देता। लिवरपूल के अभी 29 मैचों में 82 अंक हैं। उसे अब खिताब के लिये दो और जीत की जरूरत है।
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इस मैच के साथ प्रीमियर लीग की तीन महीने बाद वापसी भी हुई लेकिन मैच खाली स्टेडियम में खेले गये। केवल 300 लोगों को स्टेडियम में आने की अनुमति थी जिनमें खिलाड़ी, सहयोगी स्टाफ और स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल थे। आर्सनल को सातवीं हार का सामना करना पड़ा और वह 40 अंक के साथ नौवें स्थान पर बना हुआ है।
एस्टन विला और शैफील्ड यूनाईटेड के बीच खेला गया एक अन्य मैच गोलरहित बराबरी पर छूटा। शैफील्ड यूनाईटेड के अब 29 मैचों में 44 अंक हो गये हैं और वह छठे स्थान पर है। एस्टन विला के इतने मैचों में ही 26 अंक हैं। भाषा पंत पंत 1806 0949 मैनचेस्टर नननन
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Champions Trophy 2017 : आज ही के दिन पाकिस्तान ने टीम इंडिया को दिया था वो दर्द, जिसे भुला पाना है मुश्किल

18 जून 2017, ये वही तारीख है जब पाकिस्तान ने तीन साल पहले भारत को चैंपियंस ट्रॉफी में मात दी थी। भारत ने इसके बाद पाकिस्तान को एशिया कप में दो बार और वर्ल्ड कप 2019 में एक बार मात तो दी, लेकिन चैंपियंस ट्रॉफी की हार से मिला दर्द आज भी ताजा सा लगता है। इस मैच में जसप्रीत बुमराह की नॉ बॉल से लेकर बल्लेबाजों का फ्लॉप प्रदर्शन और हार्दिक पांड्या के रन आउट को कोई नहीं भुला सका है।
फाइनल मुकाबले में भारत ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का निर्णय लिया था। भारतीय गेंदबाजों ने पहले तीन ओवर में 8 रन देकर पाकिस्तानी सलामी बल्लेबाजों पर दबाव बनाया हुआ था। इसी दबाव में फखर जमन चौथे ओवर की पहली गेंद पर विकेट के पीछे महेंद्र सिंह धोनी के हाथों कैच आउट हुए। पहला विकेट मिलने के बाद टीम इंडिाय में खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी, लेकिन इन खुशियों पर पानी तब पड़ा जब अंपायर ने इसे नो बॉल करार दिया। फखर जमन उस समय तीन रन पर थे जब उन्हें जीवनदान मिला। फखर ने इस मौके का पूरा फायदा उठाते हुए भारत के खिलाफ शतकीय पारी खेली।
पाकिस्तान की सलामी जोड़ी अजहर अली (59) और फखर जमन (114) ने पहले विकेट के लिए 128 रन जोड़े। अजहर के रन आउट होने के बाद फखर के रनों की रफ्तार नहीं थमी और उन्होंने 92 गेंदों पर अपना पहला शतक जड़ा। अंत में बाबर आजम ने 46 और मोहम्मद हफीज ने 37 गेंदों पर 57 रनों की तूफानी पारी खेलकर पाकिस्तान को 338 रन तक पहुंचाया।
Fakhar Zaman's blistering 114 and an equally 💥 bowling performance from Mohammad Amir and Hasan Ali helped Pakistan clinch the 2017 ICC Champions Trophy against India on this day 🏆
— ICC (@ICC) June 18, 2020
WATCH 📽️ pic.twitter.com/hVB4Hl9zyD
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339 रन के बड़े लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया की शुरुआत बेहद ही खराब रही। मोहम्मद आमिर की कहर बरपाती गेंदबाजी के आगे पहले ओवर में रोहित शर्मा बिना खाता खोले पवेलियन लौट गए वहीं तीसरे ओवर में चेज मास्टर कोहली भी 5 रन बनाकर आमिर का शिकार बने।
दो बड़े बल्लेबाजों के फ्लॉप होने के बाद टीम इंडिया दबाव में थी जिस वजह से लगातार विकेट गिर रहे थे। एक समय ऐसा था जब भारत के 6 विकेट 72 रन पर गिर गए थे। इसके बाद हार्दिक पांड्या (76) ने रविंद्र जडेजा के साथ 80 रन की साझेदारी कर एक बार फिर उम्मीद बांध दी थी।
#OnThisDay in 2017, Pakistan stunned India to lift the ICC Champions Trophy at the Oval 🏆
— ICC (@ICC) June 18, 2020
They won by 180 runs, bowling out 🇮🇳 for just 158!#CT17 pic.twitter.com/cAXmLMxiHb
लेकिन 27वें ओवर की तीसरी गेंद पर जडेजा ने पांड्या को रन आउट करा दिया और उसके बाद टीम इंडिया ताश के पत्तों की तरह ढह गई। पूरी भारतीय टीम 158 रन पर ही ढेर हो गई और पाकिस्तान ने यह मैच 180 रन के बड़े अंतर से जीत लिया। मोहम्मद आमिर और हसन अली इन इस मैच में तीन-तीन विकेट लिए थे। फखर जमन को उनके लाजवाब शतक की वजह से मैन ऑफ द मैच के अवॉर्ड से नवाजा गया।
भारत और पाकिस्तान के बीच अभी तक चैंपियंस ट्रॉफी में 5 मुकाबले खेले गए है जिसमें तीन बार पाकिस्तान ने बाजी मारी है। 2017 से पहले पाकिस्तान ने भारत को इस टूर्नामेंट में 2004 और 2009 में मात दी थी।
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साथी खिलाड़ियों से अपनी तुलना करने पर जब शिखर धवन को होती थी जलन, अब बताई पूरी कहानी

भारत के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन ने बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के दुर्भाग्यपूर्ण और अचानक निधन पर दुख व्यक्त किया और इसे बेहद दुखद घटना बताया। इस दौरान शिखर धवन ने याद किया कि जब उन्होंने अपने अन्य साथियों के साथ खुद की तुलना करना बंद कर दिया क्योंकि तुलना करने की वजह से उनके अंदर जलन पैदा होने लगी थी। धवन ने यह भी कहा कि मानसिक रूप से मजबूत होना जरूरी है चाहे वह बॉलीवुड, क्रिकेट या व्यावसायिक दुनिया ही क्यों ना हो।
सुशांत सिंह राजपूत के निधन पर धवन ने एक न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा "बिल्कुल, सबसे पहले जो हुआ वह एक बहुत दुखद क्षण था। आप नहीं जानते कि उस समय व्यक्ति किन परिस्थितियों से गुजर रहा था। साथ ही यह किसी भी तरह के लीग में बहुत महत्वपूर्ण है आप बॉलीवुड, क्रिकेट या व्यवसायिक दुनिया में क्यों ना हो आपको मानसिक रूप से मजबूत रहना पड़ता है, वही आपको अलग करता है। किसी जगह तक पहुंचना एक अलग बात है, लेकिन उस स्थिति को बनाए रखना दूसरी बात है।"
इसी के साथ धवन ने बताया कि जब वह अपनी तुलना टीम के साथियों के साथ करने लगे थे तो उनके अंदर जलन पैदा होने लगी थी, इस वजह से उन्होंने अब ऐसा करना छोड़ दिया है। धवन ने कहा "मैं टीम के साथी खिलाड़ियों के साथ, सलामी बल्लेबाजों के साथ अपनी तुलना किया करता था। जब मैंने ऐसा करना शुरू किया तो नतीजा यह हुआ कि मैं जलने लगा। मैं चाहता था कि वह अच्छा परफॉर्म करे, लेकिन मैं उनसे ज्यादा अच्छा परफॉर्म करना चाहता था। अंतत: मैंने एक कदम पीछे लिया और महसूस किया कि मैंने अपने सारे सपने पा लिए हैं।"
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धवन ने इसी के साथ कहा "उसी समय मैं अपने जीवन में वास्तविक खुशी को याद कर रहा था क्योंकि मैं हमेशा उसे पाने की कोशिश कर रहा था। मैं अधिक हासिल करना चाहता था, मेरे पास अधिक क्षमता थी। इस प्रकार मैं अब किसी के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करता, चाहे मैं 2 दिनों के लिए क्रिकेट खेलूं या 2 साल के लिए यह मुझे प्रभावित नहीं करता है।"
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सचिन और द्रविड़ जैसे बड़े खिलाड़ियों की वजह से नहीं खेलने को मिला ज्यादा टेस्ट क्रिकेट - मोहम्मद कैफ

भारतीय टीम के पूर्व बल्लेबाज मोहम्मद कैफ को टीम में उनकी बल्लेबाजी से ज्यादा उनकी लाजवाब फील्डिंग से जाना जाता है। भारत को पहली बार अपनी कप्तानी में अंडर 19 वर्ल्ड कप जीताने के बाद कैफ को तुरंत सीनियर टीम में खेलने मौका मिला, लेकिन उनका कहना है कि वह उस समय महज 20 साल के थे और वर्ल्ड क्लास गेंदबाजों का सामना करने के लिए तैयार नहीं थे। इसी के साथ कैफ ने कहा कि उन्हें और युवराज सिंह को टेस्ट क्रिकेट में ज्यादा खेलने का मौका इसलिए नहीं मिला क्योंकि टीम में पहले से ही सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और वीरेंद्र सहवाग जैसे दिग्गज खिलाड़ी मौजूद थे।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए कैफ ने कहा 'उस समय टीम इंडिया में बड़े नाम जैसे कि सचिन, द्रविड़, सहवाग शामिल थे। इसलिए मुझे और युवराज को ज्यादा टेस्ट मैच खेलने का मौका नहीं मिला, हालांकि युवी को मुझसे ज्यादा टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला।'
कैफ ने भारत के लिए कुल 13 ही टेस्ट मैच खेले हैं। कैफ को अंडर19 वर्ल्ड कप के तुरंत बाद भारतीय टेस्ट टीम के लिए कॉल आया था। उन दिनों को याद करते हुए कैफ ने कहा 'जब मुझे टेस्ट टीम के लिए कॉल आया था तो मैं हैरान रह गया था। भारत ने पहली बार अंडर-19 वर्ल्ड कप जीता था, तो मीडिया में भी इसको लेकर काफी चर्चा थी। तब एक चैलेंजर टूर्नामेंट हुआ था, जिसमें ज्यादातर अंडर-19 क्रिकेटरों को खेलने का मौका मिला था। मैंने बैक टू बैक दो मैचों में 90+ स्कोर बनाया था, फिर मुझे टेस्ट टीम में मौका मिला।'
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कैफ ने इसी के साथ बताया कि एक बार उन्हें 2006 में एक खिलाड़ी के चोटिल होने की वजह से खेलने का मौका मिला था। इस मौके को दोनों हाथों से लपकते हुए कैफ ने अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन फिर भी उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर होना पड़ा था।
इसके बारे में बात करते हुए कैफ ने कहा 'मुझे 2006 में नागपुर में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला था, जब कोई खिलाड़ी चोटिल था और मैंने 91 रन बनाए थे। फिर वो खिलाड़ी फिट हो गया और मैं टीम से ड्रॉप कर दिया गया। वो टीम इतनी मजबूत थी कि मुझे ज्यादा मौके ही नहीं मिले। वो सभी दिग्गज क्रिकेटर्स थे। सचिन और द्रविड़ जैसे लीजेंड्स जिन्होंने हम लोगों को प्रेरित किया।'
20 साल की उम्र में भारत के लिए खेलने को कैफ ने जल्दबाजी बताया। कैफ ने कहा लेकिन मुझे लगता है कि टेस्ट क्रिकेट में कुछ जल्दबाजी हो गई, एलन डोनाल्ड, शॉन पोलक, नैंटी हेवार्ड जैसे गेंदबाजों का सामना करने के लिए मैं उस समय बस 20 साल का था। वो काफी तेज गेंदबाज थे। यह मेरे लिए सीखने वाला अनुभव था, यह ऐसा था कि नौसिखिए तैराक को गहरे पानी में डाल दिया गया हो और कहा गया हो कि वो अपनी खुद हेल्प कर ले।'
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उन्होंने आगे कहा 'सच कहूं तो मैं उस समय उस तरह के तेज गेंदबाजों का सामना करने के लिए तैयार नहीं था, जिनका मैंने पहले कभी सामना नहीं किया था। वो काफी बाउंसर्स फेंकते थे। यह बड़ा अंतर था, फिर मुझे टीम से ड्रॉप कर दिया गया था, वनडे इंटरनैशनल में डेब्यू के लिए मुझे कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। इंग्लैंड के खिलाफ अपने होमग्राउंड कानपुर में मैंने वनडे इंटरनैशनल डेब्यू किया था। उन दो सालों में मैंने काफी कुछ सीखा कि इंटरनैशनल लेवल पर कैसे खेलते हैं।'
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